डायरी का एक पन्ना

                                                                      पाठ -2
                                        डायरी का एक पन्ना - सीताराम सेकसरिया
मौखिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्त्वपूर्ण था ?
उत्तर - कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था और इस वर्ष उसकी पुनरावृति थी जिसके लिए काफ़ी पहले तैयारियाँ कर ली गई थीं ।
प्रश्न 2. सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था ?
उत्तर - सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था ।
प्रश्न 3. विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर - विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर उन्हें पकड़ लिया गया तथा लोगों को मारा और वहाँ से हटा दिया गया ।
प्रश्न 4. लोग अपने – अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
उत्तर - लोग अपने – अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर इस बात का संकेत देना चाहते थे कि अब उन्हें अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं है तथा अब वे स्वतन्त्रता प्राप्त करके ही रहेंगे । अब अंग्रेज़ उनका मनोबल नहीं तोड़ सकते ।
प्रश्न 5. पुलिस ने बड़े – बड़े पार्कों तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था ?
उत्तर - पुलिस ने बड़े – बड़े पार्कों तथा मैदानों को इसलिए घेर लिया था क्योंकि वहाँ पर भारत का झंडा फहराया जाना था , जो देश की स्वतन्त्रता व अंग्रेजों के तिरस्कार का प्रतीक था । अंग्रेज़ उन्हें झंडा फहराने से रोकना चाहते थे।
लिखित प्रश्नोत्तर
प्रश्न (क) 1. 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या – क्या तैयारियाँ की गई ?
उत्तर - 26 जनवरी 1931 का दिन अमर था । इस दिन को अमर बनाने के लिए कई तैयारियाँ की गई थीं । सभी कार्यकर्ताओं ने इस दिन को अमर बनाने के लिए जी – जान से मेहनत की थी । प्रचार में दो हज़ार रुपये खर्च किए गए थे । मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था । कुछ मकान तो ऐसे सजाए गए थे कि मानो स्वतन्त्रता मिल ही गई हो । जिस रास्ते से ही लोग गुजरते उसी जगह उत्साह व नवीनता मालूम होती थी । ऐसी सजावट पहले कभी नहीं हुई थी।
प्रश्न (क) 2. आज जो बात थी वह निराली थी । किस बात से पता चलता है कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए ।
                              अथवा
प्रश्न (ख) 4. बहुत से लोग घायल हुए , बहुतों को लॉकअप में रखा गया , बहुत सी स्त्रियाँ जेल गई , फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया । आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है?
                               अथवा
प्रश्न (ग) 1. आज जो कुछ हुआ है अपूर्व हुआ है । बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक है कि यहाँ काम नहीं हो रहा वह आज बहुत अंश में धुल गया ।
उत्तर – 26 जनवरी 1931 का दिन अपने आप में अपूर्व और निराला था । कलकत्ता पर कलंक था कि वे स्वतन्त्रता संग्राम हेतु संघर्ष नहीं कर रहे । उस दिन कलकत्तावासियों ने संगठित होकर संघर्ष किया । अङ्ग्रेज़ी सरकार की कड़ी सुरक्षा प्रबंध के बीच हज़ारों संख्या में लोग लाठी खा जुलूस में भाग ले रहे थे । अंग्रेजों द्वारा अनेकों अत्याचार किए गए । लेकिन क्रांतिकारियों ने देश – भक्ति का जज़्बा दिखाया और कुर्बानियाँ दीं । सैंकड़ों घायल हुए और अनेकों गिरफ्तारियाँ की गईं । स्त्रियों ने भी बढ़ – चढ़कर भाग लिया जिसमें जानकी देवी , मदालसा , विमल प्रतिभा आदि प्रमुख थीं ।
प्रश्न (क) 3. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था ?
                        अथवा
प्रश्न (ग) 2. खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी ।  
उत्तर – पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था कि अमुक – अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती । जो लोग काम करने वाले थे उन सबको इंस्पेक्टरों के द्वारा नोटिस और सूचना दे दी गई थी कि आप यदि सभा में भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे । इधर कौंसिल की तरफ़ से नोटिस निकाला गया था कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झण्डा फहराया जाएगा तथा स्वतन्त्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी । सर्वसाधारण की उपस्थिति होनी चाहिए । खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी ।
प्रश्न (क) 4. धर्मतल्ले पर आकर जुलूस क्यों टूट गया ?
उत्तर – सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बिठाकर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया था । कुछ देर बाद ही स्त्रियाँ जुलूस बनाकर वहाँ से चली गईं । साथ में बहुत भीड़ इकट्ठी हो गई । बीच में पुलिस कुछ ठंडी पड़ी थी, उसने फिर डंडे चलाने शुरू कर दिए । उस बार भीड़ ज्यादा होने के कारण बहुत आदमी घायल हुए । धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस टूट गया और करीब 50 – 60 स्त्रियाँ वहीं मोड़ पर बैठ गई । पुलिस ने उनको पकड़कर लाल बाज़ार भेज दिया । स्त्रियों का एक भाग आगे बढ़ा जिसका नेतृत्व विमल प्रतिभा कर रहीं थीं । वह बहू बाज़ार के मोड़ पर बैठ गईं । आस – पास बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई, जिस पर पुलिस बीच – बीच में लाठी चलाती
थी ।
प्रश्न (क) 5. डॉक्टर दास गुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देखभाल तो कर ही रहे थे , उनके फोटो भी उतरवा रहे थे । उन लोगों के फोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए         
 उत्तर – डॉक्टर दास गुप्ता द्वारा लोगों की फोटो उतरवाने की दो वजह हो सकती थी – वह भारतवासियों और पूरे विश्व को दिखाना चाहते थे कि अंग्रेजों ने उन पर कितना अत्याचार किया है । दूसरे, वह लोगों को समझाना चाहते थे कि कलकत्ता के लोग भी स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए उतने ही तत्पर हैं और अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ना जानते हैं । वह अपने प्रांतवासियों के नाम पर लगे कलंक को मिटाना चाहते थे ।              
प्रश्न (ख) 1. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी ?
उत्तर - सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी । ग्यारह बजे मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने अपने विद्यालय में झंडोत्सव मनाया । लड़कियों को उत्सव का मतलब समझाया गया । जगह – जगह से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकालने की तथा ठीक समय पर पहुँचने की कोशिश कर रही थीं । जब सुभाष बाबू के जुलूस को रोक दिया गया तब स्त्रियाँ मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झण्डा फहरा रही थीं और घोषणा कर रही थीं। हर स्त्री के हाथ में झण्डा था । मदालसा के साथ करीब 105 स्त्रियाँ पकड़ी गई थीं । कलकत्ता में पहले कभी इतनी स्त्रियाँ एक साथ गिरफ़्तार नहीं की गई थीं ।
प्रश्न (ख) 2 . जुलूस के लालबाज़ार आने पर लोगों की क्या दशा हुई ?
उत्तर – जुलूस में काफ़ी लोगों को गिरफ़्तार कर के लाल बाज़ार के लॉकअप में भेजा गया । लॉकअप में 105 स्त्रियाँ थीं । वहाँ जुलूस पर पुलिस ने लाठियाँ चलाईं । वहाँ पर काफ़ी लोगों को गंभीर चोट आई । पुलिस ने लोगों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया । लाल बाज़ार पहुँचने के बाद जुलूस टूट गया । बृजलाल गोयनका को दो सौ आदमियों के साथ गिरफ़्तार किया गया ।
प्रश्न (ख) 3. जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी। यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है ? क्या कानून भंग करना उचित था ? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए ।
उत्तर – यहाँ पर अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात की गई है जिसके तहत राष्ट्रीय झण्डा फहराना तथा कोई भी सभा आयोजित करना जुर्म था । कानून भंग करना उचित था क्योंकि स्वाधीनता सबका जन्म सिद्ध अधिकार है । कोई इंसान किसी पर राज नहीं कर सकता ।   
              अतिरिक्त प्रश्न  
1. पाठ में किस दिन का वर्णन है ?
2. मकान क्यों सजाए गए थे ?
3. श्रद्धानन्द पार्क में किसने झण्डा फहराया ?
4. तारा सुंदरी पार्क में कौन भीतर न जा सका ?
5. किस स्त्री मण्डल की ओर से जुलूस निकाला गया ?
 6. किस विद्यालय में कितने बजे झण्डा फहराया गया ?
7. किन दो प्रमुख लोगों को पकड़ा गया ?
8. सुभाष बाबू जुलूस कब लाए व उन्हें कहाँ रोकने की कोशिश की गई ?
9. सुभाष बाबू को किसने हट जाने के लिए कहा ?
10. लाठीचार्ज में किसका सिर फट गया ?
11. सुभाष बाबू को पकड़कर कहाँ भेजा गया ?
 12. जुलूस कहाँ आकर टूटा ?
13. स्त्रियों का नेतृत्व कौन कर रही थीं ?
14. घायलों की देख – भाल व फोटो कौन ले रहे थे ?
15. 26 जनवरी, 1931 को सुभाषचंद्र की भूमिका क्या थी ? स्पष्ट कीजिए ।                                                  
16. भारत को मिली स्वतन्त्रता में सभी वर्गों की भूमिका थी – सिद्ध कीजिए ।
17. पाठ के आधार पर भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की एक झाँकी प्रस्तुत कीजिए ।

                 



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