टोपी शुक्ल

                पाठ – 3 टोपी शुक्ला – राही मासूम रज़ा
प्रश्न 1. इफ़्फ़न टोपी शुक्ला कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है ?
                             या
       आपसी प्रेम – भाव को न तो किसी भाषा के और न ही किसी धर्म के बंधन में बांधा जा सकता है । पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – इफ़्फ़न और टोपी सहपाठी होने के साथ – साथ अज़ीज़ दोस्त भी हैं, चाहे दोनों अलग – अलग धर्म से संबंध रखते हैं।  दोनों का व्यक्तित्व प्रायः पृथक रूप से विकसित हुआ है । दोनों को अलग – अलग पारिवारिक परम्पराएँ मिली हैं । दोनों की आत्मा में प्यार की प्यास थी । इफ़्फ़न तो अपने मन की बात दादी को या टोपी को कहकर मन हल्का कर लेता था परंतु टोपी के लिए इफ़्फ़न और उसकी दादी के अलावा कोई नहीं था । टोपी दादी से मिलने के लिए मार तक खा लेता था ।  अत: इफ़्फ़न वास्तव में टोपी की कहानी का अटूट हिस्सा है, क्योंकि टोपी का चरित्र उसी पर निर्भर करता है ।
प्रश्न 2. इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं ?
उत्तर - इफ़्फ़न की दादी एक जमींदार की बेटी थीं । उनका विवाह लखनऊ शहर के एक मौलवी के साथ हुआ था । उनके पीहर में दूध, दही, घी की बहार रहती थी । उनकी बड़ी सी हवेली थी । लेकिन लखनऊ आकर वह अपनी शानो – शौकत से महरूम हो गईं । उन्हें हर चीज़ के लिए तरसना पड़ता था । उनके घर के आँगन में दशहरी आम का पेड़ उनकी दादी ने रोपा था, जिसके मीठे फल उन्हें आकर्षित करते थे । इसलिए उन्हें अपने पीहर जाना अच्छा लगता था ताकि वे इन खाद्य पदार्थों का आनंद पुनः ले सकें ।
प्रश्न 3. इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने – बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाईं?
                               या
       पाठ के आधार पर बताइए कि इफ़्फ़न की दादी मिली – जुली संस्कृति में विश्वास क्यों रखती थीं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।  
उत्तर – दादी का विवाह मौलवी परिवार में हुआ था, जहाँ का वातावरण उनके मायके से बिलकुल भिन्न था । वहाँ गाना – बजाना बिलकुल भी पसंद नहीं किया जाता था । उन्होनें अपने गाँव में हिन्दू परिवारों में शादी – विवाह के अवसर पर गाने – बजाने की परंपरा को देखा था । यह गाना – बजाना धार्मिक महत्त्व से अधिक आंतरिक उल्लास का प्रतीक था । दादी ने भी अपने बेटे की शादी में इस परंपरा को अपनाना चाहा, किन्तु पति ने मना कर दिया । इस तरह दादी की इच्छा पूरी कहीं हुई और वे अपना दिल मसोस कर रह गई ।
प्रश्न 4. अम्मी शब्द पर घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई ?
                   अथवा
       अम्मी शब्द के प्रयोग पर टोपी के घरवालों की जो प्रतिक्रिया हुई , उस पर सामाजिक समरसता संबंधी मूल्यों की दृष्टि से टिप्पणी कीजिए और स्पष्ट कीजिए कि भाषा को धर्म या संप्रदाय से जोड़ना क्यों उचित नहीं है?  
उत्तर – अम्मी शब्द पर टोपी के घरवालों की कट्टर प्रतिक्रिया हुई । सभी की निगाहें टोपी के चेहरे पर जम गईं । इस शब्द ने जैसे घर में भूचाल ला दिया क्योंकि यह एक उर्दू शब्द था और टोपी हिन्दू था, जिनके लिए यह शब्द वर्जित था । उसकी कट्टरवादी दादी ने इसे घर की परम्पराओं व संस्कारों का अपमान समझा । परिवार को डर सताने लगा कि एक हिन्दू बच्चा उर्दू माहौल को कैसे आत्मसात कर सकता है ! इस बात पर माँ ने उसे डाँटा, दादी गरजीं और टोपी की जमकर पिटाई भी हुई ।
प्रश्न 5. दस अक्तूबर , सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है ?
                                 या
       टोपी ने यह कसम खाते हुए ऐसा क्यों कहा होगा कि वह ऐसे लड़कों से दोस्ती नहीं करेगा, जिनके पिता का तबादला होता रहता है ।
उत्तर – दस अक्तूबर, सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उस दिन उसने प्रतिज्ञा की थी कि अब वह ऐसे किसी ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा, जिसके पिता की तबादले वाली नौकरी होगी । वास्तव में टोपी को ऐसा लगता था कि उसे उसके घरवाले प्यार नहीं करते । इसलिए अपने प्रिय दोस्त के चले जाने से वह बहुत दुखी हुआ क्योंकि वही एक था जिससे वह अपने मन की बात कहता था एक तो इफ़्फ़न की दादी जिससे वह बहुत प्यार करता था, वह चली गईं और दूसरे अब इफ़्फ़न के भी मुरादाबाद चले जाने के कारण टोपी बिलकुल ही अकेला पड़ गया । इसके बाद इफ़्फ़न किसी से दोस्ती नहीं कर पाया । ( टोपी और इफ़्फ़न घनिष्ठ मित्र थे । दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे क्योंकि दोनों एक दूसरे की भावनाओं को बिना कहे समझ लेते थे । यह दोस्ती बचपन में विकसित हुई थी । टोपी तो अपने दोस्त के साथ – साथ उसकी दादी का भी आत्मीय था । इसलिए जब उसके पिता का तबादला मुरादाबाद हुआ तो .....) 
प्रश्न 6. टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों की ?
उत्तर – इफ़्फ़न की दादी टोपी की दादी की तरह कठोर नहीं थीं । टोपी को इफ़्फ़न की दादी से अत्यधिक स्नेह मिला था । टोपी को दादी की भाषा और उनका भोलापन अच्छा लगता था । उनकी मीठी – मीठी बोली उसे तिल के लड्डू या शक्कर गुड़ जैसी लगती थी । टोपी की माँ भी ऐसा ही बोलती थी परंतु उसकी दादी उसे ऐसी गंवई भाषा नहीं बोलने देती थीं। अत: इफ़्फ़न की दादी और टोपी की माँ दोनों एक स्तर की महिलाएँ थीं । यही सोचकर इफ़्फ़न ने दादी बदलने की बात की ।
प्रश्न 7. पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था ?
                         या
       पाठ के आधार पर बताइए कि टोपी को किन – किन से अपनापन मिला ? क्या आज के समय में भी ऐसे अपनेपन की संभावना है ?   
उत्तर – इफ़्फ़न की दादी उसे बहुत प्यार करती थी । उसे अपने पिता, बहन, माता तथा छोटी बहन नुजहत से भी प्यार था, किन्तु दादी में तो उसके प्राण बसते थे । उसके अब्बू – अम्मी कभी – कभार डाँटते – डपटते या फिर पिटाई भी कर डालते । छोटी बहन उसकी कॉपियों के पन्नों से हवाई जहाज बनाने लगती । बस एक दादी थीं जिन्होंने कभी उसका दिल नहीं दुखाया । वह रात को उसे अनार परी, बहराम डाकू, अमीर हमला, हातिमताई जैसी अनेक कहानियाँ सुनती थीं । उसे दादी की ग्रामीण बोली बड़ी अच्छी लगती थी । इफ़्फ़न भी अपनी दादी की तरह बोलना चाहता था, पर उसके अब्बू उसे नहीं बोलने देते थे । इफ़्फ़न अपनी दादी के प्रेम तथा उनकी सादगी से अत्यधिक प्रभावित था । दादी केप्रति उसका स्नेह पारिवारिक परिस्थितियों तथा उसकी भावुकता के कारण विकसित हुआ था ।
प्रश्न 8. इफ़्फ़न की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली – सा क्यों लगने लगा था ?
उत्तर – टोपी इफ़्फ़न की दादी में स्वाभाविक रूप से एक आदर्श दादी की छवि देखता था । इफ़्फ़न की दादी जितना प्यार इफ़्फ़न से करती थीं उतना ही प्यार टोपी से भी करती थी । वह उसे भी कहानियाँ सुनाती तथा उसकी माँ का हाल चाल पूछती थी । टोपी को इफ़्फ़न की दादी अपनी माँ की तरह ही दीख पड़ती थी । उनकी मृत्यु के बाद उसे ऐसा लगा मानो उस पर से दादी की छत्र – छाया ही खतम हो गई । उसे इफ़्फ़न के अन्य पारिवारिक सदस्यों से इतना स्नेह नहीं था । इसलिए टोपी को इफ़्फ़न की दादी की मृत्यु के बाद उसका घर खाली सा और बेगाना – सा लगने लगा था ।
प्रश्न 9. टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग – अलग मज़हब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बंधे थे । इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए ।
                                 या
       पाठ के माध्यम से लेखक ने मानवीय सम्बन्धों को कौन – सी सच्चाई उजागर की है ।
                                 या
       घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फ़न के घर और उसकी दादी से क्यों था ? दोनों के अनजान रिश्ते के बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए ।
                                      या
     पाठ के अंतर्गत दो धर्मों के बीच बनी दीवार को तोड़ा गया है । स्पष्ट कीजिए ।
                                       या
     पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि टोपी के माध्यम से लेखक ने जाति – पाति के बंधन को स्वीकार न करके किस प्रकार की भावनाओं को प्रतिपादित करने का प्रयास किया है ?            
उतर – बच्चे निष्कपट तथा कोमल स्वभाव के होते हैं । उनके लिए मज़हब और जाति का कोई महत्त्व नहीं होता । उन्हें जहाँ से प्यार और ममता मिलती है, वे उसी ओर बरबस आकर्षित हो जाते हैं । इसीलिए टोपी और इफ़्फ़न की दादी भिन्न – भिन्न धर्मों के होते हुए भी जिस तरह से स्नेह की डोर से एक – दूसरे से बंधे थे, वह समाज के लिए आदर्श हैं । टोपी कट्टर हिन्दू परिवार से था और इफ़्फ़न की दादी मुसलमान थीं । दोनों के बीच धर्म की भिन्नता होते हुए भी टोपी को इफ़्फ़न की दादी से अत्यधिक अपनापन मिला था । टोपी ने अपने अकेलेपन को दादी के प्यार से भरा था । टोपी ने इफ़्फ़न के घर जाने के लिए अपने घर से मार भी खाई थी, लेकिन उसने इफ़्फ़न की दादी से मिलना नहीं छोड़ा । दोनों के बीच न धर्म की समानता थी, न संस्कृति की और न ही उम्र की। इसके बावजूद दोनों के दिलों में एक – दूसरे के प्रति अपार प्रेम एवं स्नेह की भावना थी । उनके मध्य एक ऐसा संबंध कायम हो गया था, जिसके अभाव में दोनों अतृप्त महसूस करते । उनके संबंध में न कोई स्वार्थ है, न कोई व्यापार, बल्कि सिर्फ अपनापन और आत्मीयता है ।  उनका प्यार उन लोगों के लिए सीख है जो धर्म और जाति को बहुत महत्त्व देते हैं । समाज में मानवीयता टोपी और इफ़्फ़न की दादी जैसे लोगों की वजह से ही कायम है ।            
 प्रश्न 10. टोपी नौवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया । बताइए –
(क)   ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल होने के क्या कारण थे ?
उत्तर – टोपी तीव्र बुद्धि बालक था । परंतु वह दो बार फेल हो गया क्योंकि कोई उसे घर में ढंग से पढ़ने ही नहीं देता था । जैसे ही वह पढ़ने बैठता, वैसे ही उसके बड़े भाई मुन्नी बाबू उसे किसी न किसी काम से उठा देते । कभी उसकी माँ रामदुलारी को कोई ऐसी चीज़ मंगवानी होती जो नौकरों से नहीं मँगवाई जा सकती थी । कभी भैरव उसकी कॉपियों के पन्ने फाड़ – फाड़ कर हवाई जहाज़ बनाकर उड़ा डालता । दूसरे वर्ष टोपी को टायफाइड़ हो गया और वह परीक्षा नहीं दे पाया । अत: वह फिर फेल हो गया ।
(ख)एक ही कक्षा में टोपी को दो – दो बार बैठने से किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा ?
                              या
     असफलता के परिणाम स्वरूप मनुष्य में परिवर्तन आता है । स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – पहली बार टोपी को एक कक्षा छोटे बच्चों के साथ बैठना पड़ा । दूसरे साल सातवीं के बच्चों के साथ बैठना पड़ा था । इसीलिए उसका कोई दोस्त भी नहीं बन पाया । अध्यापक भी बच्चों को न पढ़ने के कारण फेल होने का उदाहरण टोपी का नाम लेकर देते थे व उसका मज़ाक उड़ाते थे । मास्टर भी उसे नोटिस नहीं करते थे । उससे कोई उत्तर नहीं पूछते बल्कि कहते कि अगले साल पूछ लेंगे या कहते इतने सालों में तो आ ही गया होगा । इस तरह सभी उसे भावनात्मक रूप से आहत करते थे । परंतु अंत में इन सभी चुनौतियों को स्वीकार कर उसने सफलता प्राप्त की ।
(ग)टोपी की भावनात्मक परेशानियों को मद्देनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए ।
                                या
    नौवीं कक्षा में दो बार फेल हो जाने वाले टोपी की भावनात्मक समस्याओं को देखते हुए शिक्षा व्यवस्था में किए जाने वाले आवश्यक परिवर्तनों हेतु सुझाव दीजिए ।
उत्तर – बच्चे फेल होने पर भावनात्मक रूप से आहत होते हैं और कभी – कभी मानसिक संतुलन भी बिगड़ जाता है। वे शर्म भी महसूस करते हैं । ठीक ऐसा ही टोपी के साथ भी हुआ । इस दृष्टिकोण से आज की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है। सर्वप्रथम बच्चों के संवेगात्मक लगाव के विकास की ओर ध्यान देना चाहिए । विद्यार्थियों के मात्र पुस्तकीय ज्ञान को ही न परखा जाए, बल्कि उसके अनुभव और अन्य कार्य कुशलता को
देखकर उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए । मात्र लिखित परीक्षा के आधार पर नहीं बल्कि सम्पूर्ण व्यक्तित्व के आधार पर उनका मूल्यांकन होना चाहिए । अध्यापकों को सभी विद्यार्थियों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए । पढ़ाई में कमजोर छात्रों का मज़ाक उड़ाने की बजाए उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए ।
प्रश्न 11. इफ़्फ़न की दादी का मायका का घर कस्टोडियम में क्यों चला गया ?
उत्तर – कस्टोडियम एक ऐसा विभाग है जो ऐसी संपत्ति को संरक्षण देता है जिस संपत्ति पर किसी का कोई मालिकाना हक नहीं होता । इफ़्फ़न की दादी पूरब में कहीं की रहने वाली थीं । विवाह के पश्चात वह लखनऊ आ गईं । विभाजन के समय उनके परिवार वाले पाकिस्तान चले गए । उनके जाने के बाद पीछे बचा घर लावारिस हो गया । इस पर किसी का मालिकाना हक न रहा । जब दादी की मृत्यु निकट थी तब उनकी स्मरण शक्ति भी
जाती रही । इसलिए जब उनके घर का कोई वारिस न रहा तो उनके मायका का घर कस्टोडियम में चला गया ।  
                            परीक्षापयोगी प्रश्न
प्रश्न12. बीबी कौन थीं ? वे मरकर भी कर्बला या नजफ़ क्यों नहीं जाना चाहती थीं ?
प्रश्न13. टोपी ने मुन्नी बाबू के बारे में कौन सा रहस्य छिपा कर रखा था ? विस्तार से समझाइए ।
प्रश्न14. टोपी शुक्ला के घर की बूढ़ी नौकरानी को टोपी के प्रति प्रेम और सहानुभूति क्यों थी ? कारण सहित स्पष्ट कीजिए ।
प्रश्न15. पिता के ऊँचे पद का अभिमान बच्चों के मन की पवित्रता को नष्ट कर देता है । पाठ के आधार पर इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए ।
                     अथवा
       वर्तमान युग में पद और हैसियत मानवीय सम्बन्धों में कटुता का भाव उजागर कर रहे हैं । पाठ के आधार पर कथन की समीक्षा कीजिए ।
प्रश्न 16. कक्षा में अध्यापक कैसी टिप्पणी करके टोपी का अपमान करते थे ? क्या यह न्यायसंगत है ?
प्रश्न 17. पाठ के कथानक का उल्लेख करते हुए बताइए कि नाम के चक्कर में क्या का क्या हो जाता है ? इस बात से आप क्या शिक्षा ग्रहण करते हैं ?
प्रश्न 18. हिन्दू – मुस्लिम विचारधारा पर लेखक के क्या विचार हैं ?
प्रश्न 19. इफ़्फ़न कि दादी के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए 
प्रश्न 20. इफ़्फ़न और टोपी कि घरेलू परम्पराएँ कैसी थीं ? कहानी के आधार पर लिखिए ।
प्रश्न21. आपसी प्रेम में भाषा और बोली की क्या भूमिका होती है ?
प्रश्न 22. टोपी के साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया जाता है, उस स्थिति में आप क्या करते ?
प्रश्न 23. स्कूल में किन – किन बातों के कारण टोपी को दुख होता था ?
प्रश्न24. एक ही कक्षा में समझदार छात्र के दो बार फ़ेल हो जाने से उसकी मानसिकता पर क्या प्रभाव पड़ता है ? टोपी की आपबीती किन जीवन – मूल्यों की कमी की ओर इशारा करती है ?                  



Comments

Popular posts from this blog

कारतूस

तताँरा – वामीरो कथा