मीरा के पद


                          पाठ – 2 मीरा के पद – मीराबाई
प्रश्न(क)1. पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है ?
v  मीरा ने किन – किन पर की गई कृपा को स्मरण करते हुए हरि से अपनी पीड़ा को हरने की विनती की है ?
v  मीराबाई ने हरि से स्वयं का कष्ट दूर करने की जो विनती है,उसमें स्वयं का कृष्ण से कौन – सा संबंध बताया है ?
v  भगवान ने अपने भक्तों की रक्षा किस प्रकार की ? मीरा ने उन भक्तों का हवाला क्यों दिया है ?
v  हरि अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। मीरा के पदों में इस बात को किस प्रकार सिद्ध किया गया है ।
उत्तर – पहले पद में मीरा ने तीन उदाहरणों द्वारा अपनी पीड़ा हरने की विनती की है –
1.      जैसे आपने भरी सभा में द्रौपदी का चीर बढ़ा कर उसकी लाज रखी, वैसे ही आप मेरी भी लाज रखें ।
2.      जैसे आपने प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह का रूप धारण किया, वैसे ही आप मेरी प्राण रक्षा के लिए फिर से अवतरित हो जाइए ।
3.      जैसे आपने डूबते हुए गजराज की सहायता की, वैसे ही आप मुझे भी भवसागर से पार उतारिए ।
4.      मैं आपकी भक्त हूँ, आपकी भक्ति के लिए मैं आपकी सेविका भी बनाने को तैयार हूँ ।
प्रश्न (क) 2. दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ?
v  कृष्ण की चाकरी करने से मीरा को कौन – कौन से तीन लाभ मिलेंगे ? (उत्तर – उत्तर का तीसरा बिन्दु)
उत्तर – मीराबाई निम्न कारणों से श्याम की चाकरी करना चाहती है –
1.      वे बाग लगाना चाहती हैं, जिसमें छोटा सा मंदिर बनाकर कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर नित उठकर उनके दर्शन करना चाहती हैं ।
2.      वे वृन्दावन की गलियों में कृष्ण की लीला गाना चाहती हैं ।
3.      चाकरी के बदले में वे दर्शन पाएँगी, खर्ची के रूप में नाम सिमरन मिलेगा और जागीर के रूप में भाव रूपी भक्ति मिलेगी ।  
             मीरा श्याम की चाकरी इसलिए करना चाहती हैं ताकि वे हमेशा कृष्ण के सानिध्य में रह सकें। वे अपने जीवन का प्रत्येक क्षण कृष्ण के नाम कर देना चाहती हैं ।
प्रश्न(क) 3. मीराबाई ने श्री कृष्ण के रूप सौन्दर्य का वर्णन कैसे किया है ?
उत्तर – 1.  सिर पर मोर मुकुट
       2. शरीर पर पीताम्बर(पीले वस्त्र)
       3. गले में वैजयंती माला
       4. कृष्ण बांसुरी लेकर वृन्दावन की गलियों में गाय चराते हुए घूमते हैं ।
प्रश्न (क) 5. वे श्री कृष्ण को पाने के लिए क्या – क्या करने को तैयार हैं ?
v  मीराबाई आपे आराध्य देव को प्रकट करने के लिए क्या – क्या उपाय करना चाहती हैं ?
उत्तर – 1. वे बाग लगाना चाहती हैं, जिसमें छोटा सा मंदिर बनाकर कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर नित उठकर उनके दर्शन करना चाहती हैं ।
2.      वे वृन्दावन की गलियों में कृष्ण की लीला गाना चाहती हैं ।
3.      चाकरी के बदले में वे दर्शन पाएँगी, खर्ची के रूप में नाम सिमरन मिलेगा और जागीर के रूप में भाव रूपी भक्ति मिलेगी ।
4.      वे ऊँचे-ऊँचे महलों में छोटी-छोटी खिड़कियाँ बनाकर उसमें से कृष्ण के दर्शन कुसुंबी रंग की साड़ी पहनकर करना चाहती हैं ।
5.      वे कृष्ण से आधी रात के समय यमुना नदी के किनारे दर्शन देने की प्रार्थना करती हैं ।
प्रश्न (क) 4. मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर – 1. सरल एवं सुबोध ।
       2. भक्ति में डूबे पद मानव को भाव-विभोर कर देते हैं ।
       3. राजस्थानी मिश्रित ब्रज भाषा
       4. पदों में माधुर्य गुण ।
       5. शैली शास्त्रीय नहीं, लोक शैली का प्रयोग ।
       6. पर्यायवाची शब्दों की बहुलता – हरि, गिरिधर,मोहन, गोबिन्द आदि।
       7. गीति शैली मधुरता और संगीतात्मकता
       8. अलंकार- अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश और रूपक ।  
प्रश्न - निम्न पंक्तियों का काव्य सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए –
उत्तर – सामान्य – 1. पद शैली के कारण गेयता विद्यमान
       2. भक्ति – भाव से ओत - प्रोत
       3. ब्रज व राजस्थानी भाषा का मिश्रण
(ख) 1. हरि आप ------------ आप सरीर ।
उत्तर - 1. मीरा कृष्ण से विनयपूर्ण व मर्मस्पर्शी गुहार लगाती हैं ।  प्रभु को अपनेपन का वास्ता देकर पीड़ा हरने की
         प्रार्थना करती हैं ।
      2. द्रौपदी के चीर हरण का उल्लेख कर दृष्टांत अलंकार प्रस्तुत किया है ।
      3. नरहरि पद में रूपक अलंकार है ।
(ख) 2. बूढ़तों गजराज --------- म्हारी भीर ।
उत्तर – 1. मीरा कृष्ण से विनयपूर्ण व मर्मस्पर्शी गुहार लगाती हैं ।  प्रभु को अपनेपन का वास्ता देकर पीड़ा हरने की
         प्रार्थना करती हैं ।
       2. डूबते गजराज में दृष्टांत अलंकार है ।
       3. काटी – कुंजर में अनुप्रास अलंकार है ।  
(ख) 3. चाकरी में --------- बाताँ सरसी ।
उत्तर – 1. भक्ति – भाव में अनुप्रास अलंकार ।
       2. कृष्ण के प्रति विनय भक्ति व समर्पणशीलता प्रकट हुई है ।
                          
                       परीक्षापयोगी प्रश्न
1.      मीरा की अनन्य भक्ति किस प्रकार उजागर की गई है ?
2.      श्री कृष्ण के प्रति मीरा के प्रेम का जो स्वरूप उनके पदों में उभरता है, उसे लिखिए ।
3.      मीरा वृन्दावन की कुंज गली में ही गोबिन्द लीला का गान क्यों करना चाहती हैं ?
4.      महल की रचना में मीरा खिड़कियों की स्थिति क्यों चाहती हैं ?
5.      मीरा कृष्ण का दर्शन कहाँ पाना चाहती हैं ? वे इसके लिए इतनी आतुर क्यों हैं ?
6.      मीरा के काव्य में विरह की अनुभूति अपनी चरम सीमा पर है – स्पष्ट कीजिए ।
7.      मीरा की रचनाओं में भक्ति – भावना निहित है ?
8.      मीरा का मन श्री कृष्ण पर मोहित क्यों है ?
9.      भगवान की भक्ति का दूसरा अर्थ पूर्ण समर्पण है । मीराबाई द्वारा रचित पदों के आधार पर इस कथन को स्पष्ट कीजिए ।
10. प्रस्तुत पदों के अनुसार मीरा के मन की स्थिति कैसी है ? उदाहर सहित बताइये ।
      



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