बड़े भाई साहब


                          पाठ – 1 बड़े भाई साहब  (प्रेमचंद)
मौखिक प्रश्नोत्तर
  प्रश्न 1. कथा नायक की रूचि किन कार्यों में थीं ?
उत्तर - कथा नायक की रूचि कंकरियाँ उछालने , कागज़ की तितलियाँ उड़ाने , दीवार पर चढ़कर नीचे कूदने , फाटक पर सवार हो आगे – पीछे चलते हुए मोटरकार का आनंद उठाने में थीं ।
  प्रश्न 2. बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे ?
उत्तर - बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल करते,‘कहाँ थे’? छोटे भाई का जवाब हमेशा मौन
होता , जिसका अर्थ होता था कि उसे अपना अपराध स्वीकार है ।
   प्रश्न 3. दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर -दूसरी बार पास होने पर छोटा भाई बेखौफ़ हो गया । उसे अपने ऊपर अभिमान हुआ और उसका आत्मसम्मान भी बढ़ा । अब उस पर भाई साहब का वो रोब न रहा । वह आज़ादी से खेलकूद में शामिल होने लगा।
  प्रश्न 4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन – सी कक्षा में पढ़ते थे ?
उत्तर - बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में पाँच साल बड़े थे और वे नौवीं कक्षा में पढ़ते थे । लेखक पाँचवीं कक्षा में थे ।
 प्रश्न 5. बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे ?
उत्तर - बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कॉपी और किताब के हाशिये पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते । एक ही नाम या शब्द या वाक्य दस – बीस बार लिख डालते । कभी एक शेर को बार – बार सुंदर अक्षरों में नकल करते । कभी ऐसी शब्द रचना करते, जिसमें न कोई अर्थ होता , न सामंजस्य ।
लिखित प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम – टेबल बनाते समय क्या- क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया ?
उत्तर –पृष्ठ 56 II लास्ट लाइन से पृष्ठ 57 पहला गद्यांश और दूसरा गद्यांश ।

  प्रश्न 2.एक दिन जब गुल्ली – डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के पास पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर – पृष्ठ – 60 II लास्ट गद्यांश
प्रश्न 3.बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं ?
                           या
   बड़ा भाई होने के नाते क्या उन्हें अपनी इच्छाएँ दबाना जरूरी था ?
                           या
   भारतीय परंपरा के अनुसार बड़े भाई – बहन पर भी परिवार के अन्य बच्चों की ज़िम्मेदारी होती है । आप इस    
    बात से कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर –भारतीय परिवारों की परंपरानुसार बड़ा भाई पिता समान होता था । छोटों के प्रति कर्त्तव्य पालन बड़ों का नैतिक उत्तरदायित्व  होता था । उन्हें स्वयं को आदर्श रूप में प्रस्तुत करना होता था ताकि छोटे भाई बहन उनका अनुसरण कर सकें । बड़े भाई साहब भी परिवार की इन्हीं अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहते थे , ताकि छोटे भाई को सही मार्ग दिखाकर उनके सामने अपना आदर्श रूप स्थापित कर सकें । इसलिए उन्हें अपने मन की इच्छाओं को दबाना पड़ता था। मन होते हुए भी वे अपने आप को मेले – तमाशों व दोस्तों से दूर रखते थे ।  
प्रश्न 4.बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों ?
उत्तर – बड़े भाई साहब छोटे भाई को खेल कूद से दूर रहने, आवारा दोस्तों के साथ न खेलने व उनसे दूर रहने तथा मन लगाकर जी – तोड़ मेहनत करने की सलाह देते थे क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनका छोटा भाई अपने लक्ष्य से भटके । वे चाहते थे कि वो भी उनकी तरह मेहनती बने।
प्रश्न 5. छोटे भाई साहब ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फायदा उठाया ?
उत्तर –छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का अनुचित लाभ उठाया । सातवीं कक्षा में अव्वल दर्जे पर आने  व बड़े भाई साहब के फेल हो जाने पर दोनों में मात्र एक दर्जे का अंतर रह गया । तब बड़े भाई साहब का व्यवहार नरम पड़ गया । अब वह छोटे भाई को डाँटने का अवसर पाकर भी धैर्य से काम लेते । इस प्रकार छोटे भाई को भी लगने लगा कि वह पढ़े या न पढ़े, पास हो ही जाएगा  । इससे वह जो बड़े भाई साहब के डर से पढ़ता था , उसने वह भी बंद कर दिया । उसे पतंग उड़ाने का नया शौक पैदा हो गया । वह बड़े भाई से छिपकर पतंगबाज़ी में व्यस्त रहने लगा और उसके मन में उनके प्रति सम्मान व लिहाज़ भी कम हो गया ।
प्रश्न (ख) 1. बड़े भाई की डाँट – फटकार न मिलती , तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता?
अपने विचार प्रकट कीजिए ।
उत्तर - बड़े भाई की डाँट – फटकार ने छोटे भाई के कक्षा में अव्वल आने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । लेखक के भाई यदि समय – समय पर न टोकते तो हो सकता था कि लेखक अपनी कक्षा में अव्वल न आता क्योंकि उसे पढ़ने का शौक नहीं था । एक घंटा किताब लेकर बैठना भी उसे पहाड़ जैसा लगता था । बड़े भाई की डाँट के बाद ही लेखक का मन कुछ देर बाद पढ़ाई में रमता और पढ़ कर कुछ बनने का इरादा जागता ।
(ख) 2. इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली के किन तौर – तरीकों पर व्यंग्य किया है?
क्या आप उनके विचार से सहमत हैं ?
उत्तर -पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली पर करारा व्यंग्य किया है । लेखक ने शिक्षा व्यवस्था में इतिहास की घटनाओं, जामिति के नियमों और विधियों, छोटे विषयों पर कई – कई पृष्ठों वाले निबंध लिखने पर व्यंग्य किया है ।ऐसी शिक्षा विद्यार्थियों को मात्र रटन्तु तोता ही बनाती है । हमारी शिक्षा ज्ञान – वृद्धि पर बल न देकर आँकड़ों और विवरणों के प्रस्तुतीकरण पर ज़ोर देती है । हमारी शिक्षा प्रणाली में जीवन के अनुभवों से जुड़ी भविष्य में काम आने वाली व्यावहारिक ज्ञान की शिक्षा नहीं दी जाती ।
                  हालांकि बहुत से बदलाव हमारी शिक्षा पद्धति में आए हैं, परंतु अभी भी इस दिशा में प्रयास की आवश्यकता है ।
(ख) 3. बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है ?
   (ख) 4. छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा कैसे उत्पन्न हुई और अपनी लघुता
    का एहसास कैसे हुआ ?
  (ख) 6. बड़े भाई साहब ने ज़िंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है ?
 उत्तर –बड़े भाई साहब का मानना है कि जीवन की समझ पुस्तकें पढ़ने से नहीं आती । यह समझ आती है संसार में जीवन जीने का अनुभव प्राप्त करने से । पुस्तकीय ज्ञान तभी सफल माना जा सकता है जब वह व्यावहारिक जीवन में काम आए । बड़े भाई साहब अपनी माँ व पिता तथा अपने हेडमास्टर साहब की माँ आदि का उदाहरण देते हुए समझते हैं कि किस प्रकार पुस्तकीय ज्ञान के अभाव में भी अपने व्यावहारिक ज्ञान व अनुभव के आधार पर उन्होंने अपने जीवन को सफल बनाया । किताबी ज्ञान जीवन के कर्त्तव्यों को निभाना नहीं सिखाता ।
               बड़े भाई साहब के यह तर्क सुनकर लेखक के मन में उनके प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई । वह समझ गए कि आज भी वे भ्रातृ धर्म का पालन कर रहे हैं । उन्हें उसकी सफलता से किसी प्रकार की ईर्ष्या या द्वेष नहीं है । छोटे भाई को अपने बड़े भाई के प्रति अपने तुच्छ विचारों पर लज्जा महसूस हुई ।
(ख) 5. बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर - बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
क - अध्ययनशील व गंभीर प्रवृति - बड़े भाई साहब हरदम किताबों में डूबे रहते । उनमें हर चीज़ रटने की प्रवृति थी। वे गंभीर प्रवृति के थे । वे खेलकूद और मौज – मस्ती से दूर रहते थे ।
ख – घोर परिश्रमी – बड़े भाई साहब घोर परिश्रमी थे । वे आँखों में तेल डालकर दिन – रात किताबों में डूबे रहते थे । उन्हें अपने खाने –पीने की भी सुध नहीं रहती थी ।
ग – वाकपटु – बड़े भाई साहब वाक कला में निपुण थे । वे ऐसे – ऐसे उदाहरण देकर बात कहते कि छोटा भाई उनके सामने नत मस्तक हो जाता ।
घ – संयमी और कर्तव्यपरायण – बड़े भाई साहब बहुत संयमी और कर्तव्यपरायण थे । वे खेल – कूद  मेले तमाशे से हमेशा दूर रहते थे । वे छोटे भाई को अच्छी आदतें सिखाने के लिए अपना मन मारते थे ।
ड़ – बड़ों का आदर करने वाले – बड़े भाई साहब अपने माता- पिता, गुरुजनों का आदर करते थे । वे उनके अनुभवों का सम्मान करते थे तथा छोटे भाई को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करते थे।    
(ख) 7. बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि –
(क) छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है ।
उत्तर – बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को बार –बार बाहर खेलने कूदने के लिए डाँटते हैं । छोटा भाई उनकी डाँट फटकार से खिन्न और निराश हो जाता है । कुछ देर के लिए उसके मन में बड़े भाई के प्रति द्वेष की भावना भी उत्पन्न हो जाती है । फिर वह यह सोचता है कि बड़े भाई साहब उसके हित का ही सोच कर उसे डाँटते हैं , वह उनकी किसी भी बात का कोई जवाब नहीं देता । ये  सभी बातें सिद्ध करती हैं कि छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है ।
(ख) भाई साहब को जीवन का अच्छा अनुभव है ।  
उत्तर – जब छोटे भाई का मन कुछ देर के लिए बड़े भाई के प्रति द्वेष से भर जाता है और वे उनकी बातों की उपेक्षा करने लगता है , तब वह इस बात को ताड़ लेते हैं । वह रावण का , शैतान का , शाहेरूम आदि का उदाहरण देकर छोटे भाई को घमंड न करने की सलाह देते हैं । वह अपनी माँ व दादा के अनुभवों के बारे में बता कर छोटे भाई को जीवन का व्यावहारिक ज्ञान देते हैं । ये सभी बातें सिद्ध करती हैं कि भाई साहब को जीवन का अच्छा अनुभव है ।  
(ग) भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है ।
उत्तर – भाई साहब का मन भी खेल – तमाशे , मैच आदि देखने को मचलता है और वह इस बात को छोटे भाई के सामने स्वीकार भी करते हैं । कहानी के अंत में वो भी अपने छोटे भाई के साथ टूटी हुई पतंग की डोर को पकड़ कर भागते हैं । ये बातें सिद्ध करती हैं कि भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है ।
(घ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं ।
उत्तर – बड़े भाई साहब छोटे भाई को पढ़ाई के प्रति उसकी लापरवाही के लिए हमेशा डाँटते फटकारते रहते हैं । वह अनेक उदाहरणों द्वारा छोटे भाई को समझाना चाहते हैं कि जीवन सिर्फ किताबी ज्ञान से नहीं चलता , उसके लिए व्यावहारिक ज्ञान व अनुभव भी अपेक्षित है । ये सारी बातें सिद्ध करती हैं कि वे छोटे भाई का भला चाहते हैं ।
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए –
1. इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं , असल चीज़ है बुद्धि का विकास ।
उत्तर – यह पंक्ति बड़े भाई साहब द्वारा छोटे भाई साहब को कही गई है । इसमें वो अपने छोटे भाई को समझाना चाहते हैं कि किताबें पढ़ कर सिर्फ परीक्षा पास कर लेने से जीवन का अनुभव नहीं प्राप्त किया जा सकता । अगर हमारी बुद्धि का विकास उतना नहीं है कि हम जीवन की परेशानियों का सामना कर सकें या निराशा पर विजय पा सकें तो पुस्तकीय ज्ञान या परीक्षा पास करना कोई महत्त्व नहीं रखता ।
2. फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल – कूद का तिरस्कार न कर सकता था ।
उत्तर – लेखक ने इस वाक्य में इंसान की जिजीविषा की ओर तथा विपत्ति तथा मौत के समय भी अपनी कामना को जीवित रखने की इच्छा की ओर संकेत किया है । छोटे भाई के लिए बड़े भाई की बार – बार एक ही फटकार सुनना उसी भयानक विपत्ति की तरह हुआ करता था । लेकिन जैसे मरते समय भी मनुष्य मोह – माया के बंधन नहीं छोड़ पाता है , उसी तरह छोटा भाई बार – बार बड़े भाई की फटकार सुनने के बाद भी खेल – कूद को नहीं छोड़ पाता था।
3. बुनियाद ही पुख्ता न हो , तो मकान कैसे पाएदार बनें ?
उत्तर- जब मनुष्य बार – बार असफल होता है तो स्वयं को ग्लानि से निकालने हेतु व स्वयं में आत्मविश्वास भरने हेतु वह स्वयं को तथा दूसरों को कोई न कोई बहाना देता रहता है । भाई साहब भी अपनी असफलता को छिपाने हेतु व छोटे भाई पर पुनः अपना रोब स्थापित करने हेतु कहते हैं कि वे बार – बार फेल हो जाते हैं , ताकि वे उस कक्षा का ज्ञान ठीक से हासिल कर सकें ।
4. आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर , जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था , मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो ।
उत्तर – छोटे भाई को कनकौए उड़ाने का नया शौक लग गया था । जब वह कनकौए लूटने बेतहाशा दौड़ा जा रहा था, तब वह आसमान को देख रहा था । वह पतंग लेकर इस प्रकार दौड़ रहा था मानो जैसे कोई आत्मा स्वर्ग से निकल कर नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो अर्थात् ऐसा लग रहा था मानो किसी को नया जीवन मिलने वाला हो । वैसे ही छोटा भाई भी पूरी तन्मयता से पतंग के साथ ही रमा था । उसे दीन – दुनिया की कोई खबर न थी ।
                           परीक्षापयोगी प्रश्न
1. लेखक के अनुसार बड़े भाई साहब तालीम के मामले में कैसे काम लेना पसंद करते थे ?क्या आप उनके उदाहरण को अपना आदर्श बना सकते हैं ? तर्क सहित उत्तर दीजिए। (पृष्ठ 55)
2. बड़े भाई साहब की अङ्ग्रेज़ी पढ़ने के बारे में क्या राय थी ? (पृष्ठ 56)
3.बड़े भाई साहब ने किन अभिमानी लोगों के हश्र से छोटे भाई को अवगत कराया ? (पृष्ठ 58)
4. अपने ऊपर जो विश्वास पैदा हुआ था , वह फिर लुप्त हो गया और फिर चोरों का सा जीवन कटने लगा”। छोटे भाई ने ऐसा कब कहा और क्यों ?
5. कहानी में बड़े भाई साहब के असफल होने और छोटे भाई साहब के प्रथम आने के क्या कारण हो सकते हैं ?
6. पाठ से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ?
7. बड़ा भाई छोटे भाई पर शासन करने के लिए कौन – कौन सी युक्तियाँ अपनाता है ?
8.पढ़ाई में पीछे रहते हुए भी बड़े भाई साहब छोटे भाई को सलाह क्यों देते रहते हैं ?
9. छोटे भाई के मन में कौन - सी कुटिल भावना उदित हुई और क्यों ?      

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